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क्या पत्नी के अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर बच सकता है Tax?

हर कोई अपनी कमाई पर टैक्स बचाना चाहता है और इसके लिए कई तरीके भी हैं. लेकिन एक तरीका जो काफी चर्चा में रहता है, वह है टैक्स बचाने (Income Tax Saving) के लिए पत्नी के अकाउंट में पैसा ट्रांसफर करना. टैक्स बचाने के लिए लोग अलग-अलग तरीकों की तलाश में रहते हैं और पत्नी के खाते में पैसा ट्रांसफर करना उनमें से एक है. क्या सच में अगर आप अपनी पत्नी के बैंक अकाउंट में पैसाट्रासफर करते हैं तो आप इनकम टैक्स सेविंग (Income Tax Saving) कर सकते हैं? क्या पत्नी के खाते में पैसा ट्रांसफर कर टैक्स बचाना संभव है? क्या यह तरीका कानूनी है ? इससे क्या फायदे और नुकसान हो सकते हैं? यह एक ऐसा सवाल है जो कई लोगों के मन में आता है. 

फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के आधार पर इससे जुड़े कुछ अहम सवालों का जवाब आज हम आपको बताने जा रहे हैं. आइए जानते हैं कि नीचे बताए गए मामलों में कैपिटल गेन टैक्स चुकाने के लिए के लिए कौन जिम्मेदार होगा पति या पत्नी?

पहला सवाल – मान लीजिए कि कोई पति अपना पैसा अपनी पत्नी के खाते में ट्रांसफर (Money Transfer) करता है. उसकी पत्नी एक हाउसवाइफ है जो पति से मिले पैसे को अपने नाम पर म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) और स्टॉक (Stocks) में निवेश करती है, या पति इस पैसे को पत्नी के अकाउंट से पत्नी के नाम पर इन एसेट में निवेश करता है. ऐसे में भविष्य में इन एसेट की बिक्री करने पर कैपिटल गेन टैक्स (Capital Gains Tax) का भुगतान कौन करेगा पति या पत्नी?

जवाब – एक्सपर्ट्स का कहना है कि इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 64(1)(iv) में प्रावधान है कि अगर कोई व्यक्ति प्रत्यक्ष (Direct) या अप्रत्यक्ष रूप  (Indirect) से अपनी संपत्ति (जो कैश/मनी ट्रांसफर हो सकता है) अपने जीवनसाथी को ट्रांसफर करता है, तो ऐसी संपत्ति से होने वाली आय को उस व्यक्ति (यानी, जो पैसा ट्रांसफर करता है) की आय के साथ जोड़ दिया जाता है और उस पर टैक्स लगता है. इसे क्लबिंग प्रावधान (Clubbing Provisions) कहा जाता है.

इसलिए, यदि कोई पति अपनी पत्नी के अकाउंट में पैसा ट्रांसफर करता है, जिसका इस्तेमाल पत्नी अपने नाम पर म्यूचुअल फंड लेने या स्टॉक में निवेश करने के लिए करती है, तो ऐसे स्टॉक और म्यूचुअल फंड पर मिलने वाले डिविडेंड या इंटरेस्ट या कैपिटल गेन के तौर पर होने वाली इनकम को पति (यानी ट्रांसफर करने वाले) की इनकम के साथ जोड़ दिया जाएगा. इसी तरह, अगर कोई पति सीधे अपनी पत्नी के नाम पर अपना पैसा निवेश करता है, तो उस पर भी आईटी अधिनियम की धारा 64 के तहत क्लबिंग प्रावधान लागू होगा. और इसलिए, ऐसी एसेट से होने वाली कोई भी आय या ऐसी एसेट के ट्रांसफर के कारण होने वाले कैपिटल गेन को पति की इनकम के साथ जोड़ दिया जाएगा.

दूसरा सवाल –  मान लीजिए कि कोई पति अपनी पत्नी के नाम पर एक घर खरीदता है (पैसा पति के अकाउंट से पत्नी के अकाउंट में ट्रांसफर किया जाता है और पेमेंट पत्नी के अकाउंट से किया जाता है). ऐसे में भविष्य में ऐसी प्रॉपर्टी को बेचने पर होने वाले लाभ पर कैपिटल गेन टैक्स (Capital Gains Tax) का भुगतान कौन करेगा? और, अगर यह प्रॉपर्टी किराए पर दी जाती है तो किराए से होने वाली इनकम पर टैक्स कौन करेगा?

जवाब– इस मामले में, आईटी अधिनियम की धारा 27 में प्रावधान है कि यदि कोई व्यक्ति अपने पति या पत्नी से कोई कीमत लिए बिना उसे हाउस प्रॉपर्टी ट्रांसफर करता है, तो ऐसे मामले में उस प्रॉपर्टी पर किराये से होने वाली इनकम या कैपिटल गेन पर संपत्ति ट्रांसफर करने वाले व्यक्ति को ही टैक्स देना होगा.

Tax-Saving Tips: टैक्स बचाने के लिए क्या करें

  • अगर कोई शादी के पहले ही अपनी होने वाली पत्नी के नाम पर प्रॉपर्टी कर देता है तो वो क्लबिंग ऑफ इनकम के प्रावधान के तहत नहीं आएगी.
  • अगर आप अपनी पत्नी को हर महीने खर्च के लिए पैसे देते हैं और वो उनसे सेविंग करती हैं, तो उसे भी आपकी इनकम में नहीं जोड़ा जाएगा.
  • आप अपने परिवार के लिए हेल्थ इंश्योरेंस लेकर भी टैक्स बचा सकते हैं. इनकम टैक्स के सेक्शन 80D के तहत आप हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर 25,000 रुपये तक बचा सकते हैं.
  • आप निवेश के लिए जॉइंट अकाउंट भी खोल सकते हैं, बस ध्यान रखें कि प्राइमरी होल्डर वो होना चाहिए, जिसकी टैक्स लायबिलिटी कम है, क्योंकि जॉइंट अकाउंट में  मिलने वाले ब्याज पर टैक्स चुकाने की लायबिलिटी प्राइमरी होल्डर की बनती है.

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