दिल्ली एमसीडी के उद्यान विभाग में मंथली का खेल… माली-चौकीदार और चौधरियों का बोलबाला
एमसीडी के उद्यान विभाग में भी लाहौरी प्रथा (बगैर ड्यूटी किए फुल सैलरी पाना) तेजी से फलफूल रही है। दावा है कि उद्यान विभाग में काम करने वाले माली और चौकीदार घर बैठे सैलरी ले रहे है। वहीं, जब जहां चाहें अपना ट्रांसफर करा सकते हैं। आरोप है कि यह पूरा गोरखधंधा जोनल अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा है।
लाहौरी प्रथा को खत्म करने के लिए एमसीडी द्वारा अभी तक जितने भी प्रयास किए गए वे सभी नाकाफी साबित हुए। फील्ड में तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों ने उसका कोई न कोई तोड़ निकाल ही लिया। कर्मचारियों की ड्यूटी पर उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए ही पहले बायोमीट्रिक अटेंडेंस सिस्टम लगाया गया था, लेकिन उससे भी ज्यादा फर्क नहीं पड़ा। इस सिस्टम के फेल होने के बाद मोबाइल ऐप लॉन्च किया गया। इस सिस्टम पर कर्मचारी की रियल टाइम लोकेशन भी आ जाती है। इस सिस्टम को लॉन्च हुए कई साल बीत चुके है, लेकिन अभी तक मुश्किल से 50 पर्सेंट कर्मचारी ही मोबाइल ऐप के माध्यम से अपनी हाजिरी लगा रहे हैं। सख्ती न होने से लाहौरी प्रथा पर अंकुश लगने की बजाय यह दूसरे विभागों में भी फैलती जा रही है।
कैसे चल रहा है खेला?
उद्यान विभाग में रेगुलर मालियों के लिए अलग रेट है और कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों के लिए अलग। विभाग में रेगुलर माली अगर मंथली पर चलता है तो उसे अपने चौधरी को 12000-15000 रुपये हर महीने देने हैं। अगर कोई माली एक दिन ड्यूटी से गैर हाजिर रहता है तो उस दिन की हाजिरी लगाने की एवज में 500 रुपये देने पड़ते हैं। अगर कॉन्ट्रैक्ट पर रखा गया कोई माली एक दिन ड्यूटी से गैर हाजिर रहता है तो उसे चौधरी को 200 रुपये देने पड़ते हैं। उद्यान विभाग के सूत्रों ने बताया कि एमसीडी के हर जोन में 15-20 चौधरी होते हैं।
एमसीडी अधिकारी ने क्या कहा?
इस संबंध में जब एमसीडी के पीएंडआई डायरेक्टर अमित कुमार से बात की गई तो उनका कहना था कि अगर किसी विभाग में ऐसा चल रहा है तो यह बेहद गंभीर बात है। पकड़े जाने पर ड्यूटी से गैर हाजिर चल रहे कर्मचारी के साथ साथ जिस अधिकारी के अंडर वह कर्मचारी आता है उसके खिलाफ भी सख्त एक्शन लिया जाएगा।
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