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दिल्ली में डग्गामार बसों का साम्राज्य: कानून के रखवालों की मिलीभगत या अनदेखी?

दिल्ली में डग्गामार बसों का साम्राज्य: कानून के रखवालों की मिलीभगत या अनदेखी?
रिपोर्टर: जगमोहन सिंह, विधिपक्ष डेली न्यूज़ पत्रिका

दिल्ली जैसे आधुनिक और व्यवस्थित शहर में डग्गामार बसों का अवैध संचालन न केवल नियमों का खुला उल्लंघन है, बल्कि सरकार और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। यह समस्या केवल ट्रैफिक और कर चोरी तक सीमित नहीं है, बल्कि शहर की सुरक्षा और यातायात प्रबंधन के लिए भी एक बड़ा खतरा बन गई है।

एमसीडी की पार्किंग का बस अड्डों में रूपांतरण
दिल्ली में एमसीडी द्वारा स्वीकृत पार्किंग स्थल आज अवैध बस अड्डों में तब्दील हो चुके हैं। इन पार्किंग स्थलों का उपयोग शहरों के बीच भारी मात्रा में सामान भेजने और अवैध रूप से यात्रियों को ले जाने के लिए किया जा रहा है। इन बसों का संचालन बिना किसी अधिकृत परमिट और दस्तावेजों के किया जा रहा है।

डबल-डेकर बसों का नियम विरुद्ध उपयोग
दिल्ली में वर्ष 2001 से डबल-डेकर बसों के संचालन पर रोक लगा दी गई थी। तब से किसी भी डबल-डेकर बस का नया परमिट जारी नहीं किया गया है। इसके बावजूद, कई बस मालिक सिंगल-डेकर बस का पंजीकरण कराकर बाद में उसे डबल-डेकर में परिवर्तित कर रहे हैं।

इन बसों में:

यात्री सूची या परफॉर्मा नहीं होता।
ड्राइवर और कंडक्टर बिना वर्दी के रहते हैं।
बस के अंदर पर्दे लगे होते हैं, जिससे अवैध गतिविधियां आसानी से छिपाई जा सकें।
सरकार और प्रशासन की भूमिका
डग्गामार बसों का यह संचालन किसी एक व्यक्ति की योजना नहीं हो सकता। संबंधित विभागों की अनदेखी और मोटी रकम के लेन-देन से यह गोरखधंधा फल-फूल रहा है। ऐसा लगता है कि प्रशासन की आंखें बंद हैं, तभी ये बसें खुलेआम दिल्ली की सड़कों पर दौड़ रही हैं।

कानून के उल्लंघन का मामला
नियमों के अनुसार, किसी भी बस को केवल अधिकृत बस अड्डों से ही सवारियां बैठाने की अनुमति है। फ्लाईओवर के ऊपर और नीचे यात्रियों को उतारना या सामान लोड करना पूरी तरह अवैध है। इस तरह की गतिविधियां न केवल कर चोरी का जरिया हैं, बल्कि यातायात जाम और दुर्घटनाओं का कारण भी बन रही हैं।

आदेश और दस्तावेज़
आपके द्वारा अनुरोध किए गए आदेश या दस्तावेज़ इस समय उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे मामलों में संबंधित विभाग जैसे परिवहन विभाग (दिल्ली सरकार) या एमसीडी के रिकॉर्ड खंगाले जा सकते हैं। हम जल्द ही इन आदेशों को प्राप्त करने और इसे प्रकाशित करने का प्रयास करेंगे।

निष्कर्ष और अपील
यह मामला केवल डग्गामार बसों के संचालन तक सीमित नहीं है; यह दिल्ली में कानून व्यवस्था और शासन की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है। शासन और प्रशासन से अपेक्षा है कि वे इस गंभीर समस्या पर तुरंत ध्यान दें और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।

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