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दिल्ली की सड़कों पर बेलगाम ट्रैक्टर-ट्राली माफिया, पुलिस की मिलीभगत से बढ़ रहा है खतरा

दिल्ली की सड़कों पर अवैध ट्रैक्टर-ट्राली माफिया का आतंक, पुलिस की छत्रछाया में फलता-फूलता काला धंधा
अंकित-अजय की अवैध वसूली से दिल्ली की सड़कें असुरक्षित, पुलिस पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप
दिल्ली में GRAP-II के बावजूद अवैध ट्रैक्टरों का कहर, प्रदूषण और हादसों की अनदेखी!
दिल्ली की सड़कों पर बेलगाम ट्रैक्टर-ट्राली माफिया, पुलिस की मिलीभगत से बढ़ रहा है खतरा


दिल्ली में ट्रैक्टर-ट्राली माफिया का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। यह माफिया, जो निर्माण कार्यों में मलबा और अन्य सामग्री ढोने के लिए ट्रैक्टर-ट्रालियों का इस्तेमाल करता है, खुलेआम कानून की धज्जियाँ उड़ा रहा है। लोनी गोल चक्कर और अन्य प्रमुख स्थानों पर अंकित तोमर और अजय तोमर नामक दो व्यक्तियों का अवैध वसूली नेटवर्क सक्रिय है। इनकी अवैध गतिविधियों के कारण दिल्ली की सड़कों पर न केवल अव्यवस्था फैली हुई है, बल्कि यह माफिया पुलिस की मिलीभगत से संरक्षित भी है। पुलिस अधिकारियों को हर ट्रैक्टर-ट्राली से 2000 रुपये की रिश्वत पहुँचाने के कारण इन ट्रैक्टर-ट्रालियों पर कोई कानूनी कार्यवाही नहीं होती, जिससे सड़क सुरक्षा पर गहरा संकट उत्पन्न हो गया है।

अवैध ट्रैक्टर-ट्रालियों का आतंक और पुलिस की भूमिका
दिल्ली की सड़कों पर बेलगाम दौड़ती ये अवैध ट्रैक्टर-ट्रालियाँ न केवल ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन कर रही हैं, बल्कि अन्य वाहनों और पैदल चलने वालों के लिए भी खतरनाक साबित हो रही हैं। अंकित और अजय द्वारा संचालित इस नेटवर्क में ट्रैक्टर-ट्रालियों को विशिष्ट पहचान चिह्न दिए जाते हैं, ताकि वे पुलिस की निगरानी से बच सकें। इन वाहनों का न तो उचित रजिस्ट्रेशन होता है, और न ही इनके चालकों के पास लाइसेंस होते हैं। इस भ्रष्ट व्यवस्था का परिणाम यह है कि दिल्ली की सड़कों पर ये ट्रैक्टर-ट्राली एक बड़ी समस्या बन चुके हैं, जिनसे आए दिन हादसे हो रहे हैं।

GRAP-II के बावजूद पुलिस की अनदेखी से बिगड़ता प्रदूषण संकट
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने GRAP-II (ग्रेडेड रेस्पॉन्स एक्शन प्लान) लागू किया है, जो सख्त नियमों के तहत प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर रोक लगाने का निर्देश देता है। लेकिन इसके बावजूद भी ये अवैध ट्रैक्टर-ट्रालियाँ बिना किसी रोक-टोक के प्रदूषण फैला रही हैं। अधिकतर ट्रैक्टर-ट्रालियाँ 10 साल से अधिक पुरानी डीजल गाड़ियाँ हैं, जिन्हें दिल्ली में प्रतिबंधित किया गया है, फिर भी ये दिल्ली की सड़कों पर खुलेआम दौड़ रही हैं। दिल्ली पुलिस की इस अनदेखी पर सवाल खड़े होते हैं, कि जहाँ एक ओर आम नागरिकों की पुरानी डीजल गाड़ियाँ जब्त की जा रही हैं, वहीं दूसरी ओर अंकित और अजय का यह अवैध नेटवर्क बिना किसी डर के अपने वाहनों को सड़कों पर दौड़ा रहा है।

बिना लाइसेंस और नंबर प्लेट के चलने वाले वाहनों से बढ़ते हादसे
दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, पिछले वर्ष (2022-23) में इन अवैध ट्रैक्टर-ट्रालियों की वजह से 150 से अधिक सड़क दुर्घटनाएँ हुईं, जिनमें 75 से अधिक लोग अपनी जान गँवा बैठे और 200 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए। रात के समय तेज गति से दौड़ने वाले ये ट्रैक्टर-ट्राली अक्सर हादसों का कारण बनते हैं। इनके बिना नंबर प्लेट और रजिस्ट्रेशन के चलने के कारण हादसे के बाद ड्राइवर आसानी से फरार हो जाते हैं और इनकी पहचान करना भी मुश्किल हो जाता है। इस प्रकार पुलिस की मिलीभगत और अनदेखी से नागरिकों का जीवन खतरे में पड़ता जा रहा है।

अवैध वसूली और बढ़ते हादसों पर सरकार की चुप्पी
दिल्ली की सड़कों पर कानून-व्यवस्था का पालन करवाना केंद्र सरकार के अधीन आता है, जबकि राज्य सरकार की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाए। जब सरकार एक ओर प्रदूषण नियंत्रण के लिए GRAP-II जैसे कठोर कदम उठा रही है, तो सवाल उठता है कि पुलिस और ट्रैफिक विभाग इस नियम को पूरी तरह लागू क्यों नहीं कर पा रहे हैं? आम नागरिकों पर सख्ती से कानून लागू करने वाली दिल्ली पुलिस अंकित तोमर और अजय तोमर जैसे माफिया के खिलाफ कार्यवाही करने में लापरवाही क्यों बरत रही है? यह सवाल सरकार की नीयत और पुलिस विभाग की कार्यशैली पर संदेह उत्पन्न करता है।

अवैध गतिविधियों पर तुरंत नियंत्रण का आह्वान
अंकित और अजय द्वारा संचालित यह अवैध वसूली का नेटवर्क दिल्ली की सड़कों के लिए गंभीर संकट बन चुका है। इस नेटवर्क का पर्दाफाश करना और इन अवैध वाहनों को सड़कों से हटाना अत्यंत आवश्यक है। राज्य और केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर मिलकर ठोस कार्यवाही करनी होगी ताकि अवैध वसूली के माध्यम से पुलिस और माफिया का गठजोड़ खत्म हो सके। आम नागरिकों का जीवन और स्वास्थ्य सुरक्षित रहे, इसके लिए सरकार को न केवल कड़े कानून बनाने चाहिए, बल्कि उन पर सख्ती से अमल भी करना चाहिए।

दिल्ली की जनता को सुरक्षित सड़कों का अधिकार है, और इस अधिकार की रक्षा करना राज्य और केंद्र सरकार दोनों की जिम्मेदारी है।

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