“स्कूलों में लीगल स्टडीज़ विषय अनिवार्य करने की मांग तेज़ – अपराध मुक्त समाज की दिशा में पहल”
नई दिल्ली:
दिल्ली में अपराध रोकथाम और महिलाओं की सुरक्षा को लेकर एक नई बहस शुरू हो गई है। समाजसेवी और पूर्व एसीपी दिल्ली पुलिस वीरेंद्र शर्मा पुंज ने सरकार और शिक्षा विभाग से मांग की है कि स्कूलों में Legal Studies (कानून विषय) को कक्षा 11वीं और 12वीं में अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाए।
उनका कहना है कि यदि बच्चों को कम उम्र से ही कानून की शिक्षा दी जाएगी, तो “Ignorance of Law” (कानून की अज्ञानता) दूर होगी और अपराधों में कमी आएगी। शर्मा के अनुसार, “जिस तरह पर्यावरण बचाने के लिए सरकार अरबों रुपए खर्च करती है, उसी तरह बच्चों और महिलाओं को सुरक्षित बनाने का सरल उपाय है कि मात्र 166 रुपए खर्च कर प्रति छात्र Legal Studies subject पढ़ाया जाए।”
निर्भया केस से सीख
निर्भया कांड के बाद CBSE ने 2013 में 11वीं और 12वीं में Legal Studies subject लागू किया था। लेकिन कई सरकारी स्कूलों में यह विषय अब भी नहीं पढ़ाया जाता। शर्मा का मानना है कि अगर यह विषय समय पर पढ़ाया जाता, तो आज कई अपराधी सुधार कर अच्छे नागरिक, जज, पुलिस अधिकारी या शिक्षक बन सकते थे।
संभावित लाभ
- कानून की अज्ञानता दूर होगी।
- अपराध और जेलों का बोझ कम होगा।
- महिलाएं और बच्चे सुरक्षित होंगे।
- छात्रों को करियर विकल्प मिलेगा।
- लाखों लॉ ग्रेजुएट्स को शिक्षक की नौकरी मिलेगी।
रोजगार का अवसर
देश के लगभग 20 लाख स्कूलों में अगर यह विषय लागू हो जाए तो करीब 40 लाख Law Graduate Teachers को रोजगार मिल सकता है। इससे युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार और सामाजिक स्थिरता मिलेगी।
सवाल
पूर्व एसीपी वीरेंद्र शर्मा ने सवाल उठाया – “अगर प्राइवेट स्कूल लीगल स्टडीज़ पढ़ा सकते हैं तो सरकारी स्कूल क्यों पीछे हैं? जब देश की महिला मुख्यमंत्री खुद अधिवक्ता रह चुकी हैं, तो उन्हें पहल करनी चाहिए ताकि बच्चियां और महिलाएं कानून की शिक्षा को सुरक्षा कवच बना सकें।”
✍️ (2) एडिटोरियल / ओपिनियन – by Virendra Sharma Punj
शीर्षक:
“एक स्कूल जेल बंद करने योग्य तभी होगा, जब बेटी को कानून विषय की शिक्षा देगा”
लेखक: वीरेंद्र शर्मा पुंज,
Former ACP Delhi Police, Social Activist, Educationist, Marriage Counselor & Legal Counsel
आज समाज अपराध रूपी कूड़े के ढेर पर बैठा है। जल, वायु और पर्यावरण को बचाने के लिए अरबों रुपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा के लिए स्कूलों में Legal Studies subject पढ़ाने का खर्च मात्र 166 रुपए है। यह खर्चा नहीं, बल्कि भविष्य में अपराध-मुक्त समाज की गारंटी है।
निर्भया केस ने पूरे देश को झकझोरा था। उसी समय CBSE ने 2013 में लीगल स्टडीज़ विषय लागू किया। लेकिन अफसोस, सरकारी स्कूलों में इसे गंभीरता से कभी नहीं पढ़ाया गया। आज भी अपराध बढ़ रहे हैं और कानून का कोई सम्मान नहीं कर रहा। क्या इसका कारण सिर्फ Ignorance of Law नहीं है?
अगर बच्चों को स्कूल में कानून पढ़ाया जाए तो –
- वे कानून से डरेंगे नहीं, बल्कि उसका सम्मान करेंगे।
- महिलाएं सुरक्षित होंगी।
- अपराधी बनने की बजाय बच्चे जज, पुलिस, शिक्षक या अच्छे नागरिक बनेंगे।
- लाखों लॉ ग्रेजुएट्स को शिक्षक की नौकरी मिलेगी और उनकी जिंदगी स्थिर होगी।
समाज तब बदलता है जब शिक्षा बदलती है। आज जरूरत है कि हमारी महिला मुख्यमंत्री, जो स्वयं अधिवक्ता रही हैं, यह साबित करें कि कानून ही महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा कवच है।
सच यही है:
“एक स्कूल जेल बंद करने योग्य तभी होगा, जब बेटी को कानून विषय की शिक्षा देगा।”
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