स्कूलों में कानून विषय की शिक्षा ही समाज को अपराध मुक्त बनाने का एक स्थाई पासवर्ड हैं
दिल्ली पुलिस की साइबर जागरूकता और कानूनी शिक्षा पहल: आधुनिक भारत में बालिकाओं के संरक्षण और सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
भूमिका
आज के डिजिटल युग में जहां तकनीकी विकास ने संचार और जानकारी के आदान-प्रदान की प्रक्रिया को अभूतपूर्व रूप से आसान बना दिया है, वहीं इससे जुड़े साइबर अपराध और सामाजिक चुनौतियां भी बढ़ती जा रही हैं। इस संदर्भ में, दिल्ली पुलिस दक्षिण जिला साइबर पुलिस स्टेशन ने 12 सितंबर 2025 को विद्यान्जलि वॉलंटियर, ओमसुधा कुटुंबकम, और ‘कानून का कायदा’ पहल के सहयोग से एसकेवी स्कूल, फतेहपुर बेरी में कक्षा 10 से 12 की छात्राओं के लिए साइबर जागरूकता तथा कानूनी शिक्षा पर एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया। इस पहल का उद्देश्य स्कूल स्तर पर बालिकाओं और बच्चों को साइबर अपराधों, महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराधों से बचाव के बारे में जागरूक करना तथा कानूनी साक्षरता को बढ़ावा देना था।
साइबर अपराधों और महिलाओं पर बढ़ते खतरे
पिछले दशक में सोशल मीडिया और इंटरनेट का उपयोग तेजी से बढ़ा है, लेकिन इसके साथ व्यापक पैमाने पर फेक प्रोफाइल, साइबर बुलिंग, ऑनलाइन फ्रॉड, और विशेषकर महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराधों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। कार्यशाला में शामिल छात्राओं ने अपने अनुभव साझा किए, जिनमें एक ने बताया कि उसकी तस्वीर का उपयोग कर किसी ने फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट खोल लिया, जबकि एक अन्य छात्रा ने बताया कि उसकी मां को नौकरी दिलाने के झूठे वादे पर लाखों रुपये से ठगा गया। स्कूल हेड मिस नितेश मीना ने भी स्वीकार किया कि छात्राओं के बीच इंस्टाग्राम जैसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर छेड़छाड़ व विवाद की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं।
साइबर सुरक्षा के लिए दिशा-निर्देश
कार्यशाला में पुलिस अधिकारियों ने इंटरनेट उपयोग के दौरान सावधानी बरतने के प्रभावी उपायों पर बल दिया–
मजबूत और जटिल पासवर्ड का निर्माण करें और समय-समय पर उन्हें अपडेट करते रहें।
OTP या किसी भी व्यक्तिगत जानकारी को कभी किसी के साथ साझा न करें।
संदिग्ध लिंक पर क्लिक करने से बचें और अनजान नंबरों से आने वाली वीडियो कॉल का जवाब न दें।
किसी भी साइबर अपराध या संदिग्ध गतिविधि की सूचना 112 PCR, 1930 साइबर हेल्पलाइन या आधिकारिक वेबसाइट cybercrime.gov.in पर तुरंत दें।
कानूनी शिक्षा का महत्व और भविष्य की संभावनाएं
पूर्व एसीपी श्री वीरेन्द्र पुंज ने कार्यशाला के दौरान कानूनी शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला। उनका मानना है कि स्कूलों में कानूनी विषयों को पढ़ाना न केवल सामाजिक बुराइयों से लड़ने का एक मजबूत माध्यम है, बल्कि यह विद्यार्थियों को एक सशक्त, जागरूक और जिम्मेदार नागरिक बनाने के लिए भी आवश्यक है। उन्होंने छात्राओं को प्रोत्साहित किया कि वे कक्षा 11 में लीगल स्टडीज विषय चुनें, जिससे उन्हें भारतीय कानून, साइबर कानून, और अन्य कानूनी प्रक्रियाओं की समग्र समझ प्राप्त हो और वे अपने भविष्य को कानूनी पेशे में संवार सकें।
समाज पर दीर्घकालीन प्रभाव
कानूनी साक्षरता और साइबर जागरूकता सुनिश्चित करती है कि युवा पीढ़ी समाज में व्याप्त अपराधों के प्रति अधिक सजग और सतर्क रहे। यह पहल महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाली हिंसा, साइबर अपराध, और अन्य सामाजिक दुश्चक्रों को तोड़ने में एक महत्वपूर्ण कड़ी का काम करती है। इससे न केवल अपराधों की रोकथाम होती है, बल्कि इससे पीड़ितों को न्याय मिलने के मार्ग भी सुगम होते हैं।
समापन
दिल्ली पुलिस द्वारा आयोजित इस कार्यशाला ने न केवल बालिकाओं को साइबर खतरों और कानूनी अधिकारों से अवगत कराया, बल्कि इसे एक सामाजिक सुधार की दिशा में बड़ा कदम माना जा सकता है। डिजिटलीकरण के इस दौर में, कानूनी शिक्षा और साइबर जागरूकता युवाओं के लिए स्थायी सुरक्षा कवच है, जो उन्हें सामाजिक बुराइयों से लड़ने और एक सफल, आत्मनिर्भर जीवन की ओर अग्रसर होने में मदद करती है।
एसआई स्मृति, सीटी दीप्तिशिखा, सीटी विनोद और श्रीमती रेणु शर्मा सहित पुलिस टीम को स्कूल के प्रधानाचार्य मिस नितेश मीना और सभी छात्रों ने इस प्रयास के लिए धन्यवाद दिया। इस तरह की पहलें न केवल बालिकाओं की सुरक्षा में वृद्धि करेंगी, बल्कि उन्हें सशक्त बनाकर देश के उज्जवल भविष्य की नींव भी मजबूत करेंगी
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