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38 वर्षों की अद्वितीय शैक्षिक यात्रा का अवसान : प्राध्यापिका ममता शर्मा का विदाई समारोह

नई दिल्ली, यमुनाविहार।
“जीवन में आने वाली चुनौतियों को अवसरों में बदल दीजिए, वही आपकी सफलता की सीढ़ी बनेगी।” यह प्रेरणादायी उद्गार सरकारी कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, बी-1, यमुनाविहार की वरिष्ठ प्राध्यापिका श्रीमती ममता शर्मा ने अपने सुपरएन्नुएशन (सेवानिवृत्ति) अवसर पर व्यक्त किए।

विद्यालय प्रांगण में आयोजित भावभीने समारोह में वातावरण उल्लास और संवेदना से सराबोर था। एक ओर शिक्षिकाएँ और छात्राएँ उनके योगदान को याद कर गौरवान्वित हो रही थीं, वहीं दूसरी ओर आँखों में विदाई की नमी भी छलक रही थी।

38 वर्षों की अनुकरणीय सेवा

श्रीमती ममता शर्मा ने शिक्षण सेवा के पूरे 38 वर्ष शिक्षा विभाग को समर्पित किए। उल्लेखनीय तथ्य यह है कि उन्होंने जिन विद्यालयों में अपनी छात्र जीवन की पढ़ाई पूरी की, उन्हीं विद्यालयों में अध्यापन कार्य भी किया। यह उनकी यात्रा को और भी प्रेरक बना देता है।

प्रधानाचार्या श्रीमती पूनम चौधरी ने उनके कार्यकाल को स्मरण करते हुए कहा —
“ममता जी का जीवन शिक्षा के क्षेत्र में अनुकरणीय रहा है। उन्होंने केवल पढ़ाया नहीं, बल्कि छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों के आत्मविश्वास को भी संवारने का कार्य किया है।”

उनकी सहकर्मी शिक्षिकाएँ अर्चना राणा, मीनाक्षी माथानी, बबीता रानी, सुरभि जैन, रश्मि शर्मा, ललिता देवी, नूतन शर्मा, विनीता तोमर, सुमन वर्मा, रेनू वर्मा, श्रीमती कृष्णा, श्रीमती शशिबाला (पूर्व उप-प्राचार्य) आदि ने साझा किया कि श्रीमती शर्मा विद्यालय की हर शैक्षिक व सह-शैक्षिक गतिविधि की आत्मा रही हैं।

विशेष योगदान : CWSN और आत्मविश्वास निर्माण

शिक्षा क्षेत्र में उनकी सबसे उल्लेखनीय भूमिका CWSN (Children With Special Needs) की रही, जब विद्यालयों में विशेष शिक्षकों की नियुक्ति तक उपलब्ध नहीं थी। पूरे 10 वर्षों तक उन्होंने यह दायित्व निष्ठा से निभाया और विशेष जरूरत वाले बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ने का कार्य किया।

विद्यालयीन गतिविधियों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और आत्मविश्वास निर्माण के हर आयाम में उनकी उपस्थिति सदा के लिए स्मरणीय रहेगी।

जीवन दर्शन और मूल्य

अपने संबोधन में श्रीमती शर्मा ने छात्राओं को जीवन के मूल मंत्र दिए। उन्होंने कहा कि वे पिछले 55 वर्षों से प्रतिदिन प्रातः 5 बजे उठती रही हैं।
“संस्कार, अनुशासन, समय का मूल्य, सरल और स्पष्ट संवाद, निडरता तथा कभी हार न मानने का जज़्बा ही मेरे जीवन की धुरी रहा है। यदि विद्यार्थी इन गुणों को आत्मसात कर लें तो कोई भी सपना असंभव नहीं रहता।”

कोविड काल की सेवा और सामाजिक उत्तरदायित्व

कार्यक्रम में उपस्थित एमसीडी पार्षद श्री सत्यपाल दायमा ने प्रकाश डाला कि कोविड महामारी के कठिन समय में ममता शर्मा व उनके परिवार ने समाज सेवा का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया।
उनके परिवार में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी श्री विरेंद्र पुंज (पूर्व एसीपी) और डॉ. वैभव ने भी समाजहित में सराहनीय सेवाएँ दीं। बेटा शुभम पुष्प और बेटी मेघवर्णा और पुत्र वधू छवि भारद्वाज सभी शिक्षा कानून और समाज सेवा में सक्रिय योगदान देते आ रहे हैं

स्कूलों में कानून विषय की शिक्षा का आगाज

उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि श्रीमती शर्मा उत्तर-पूर्वी ज़ोन के विद्यालयों में ‘लीगल स्टडीज़’ विषय के शुभारंभ की प्रेरक शक्ति रहीं।

विदाई की भावुक घड़ियाँ

कार्यक्रम के समापन पर श्रीमती शर्मा ने सभी शिक्षिकाओं, कर्मचारियों और सहयोगियों को व्यक्तिगत रूप से उपहार भेंट किए। उन्होंने कहा —
“यदि मेरे सहकर्मी और सहयोगी साथी मेरे साथ न होते तो यह यात्रा इतनी आनंददायी और उपलब्धियों से भरी कभी नहीं हो सकती थी। आज मैं यह अनुभव करती हूँ कि शिक्षा केवल पेशा नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र निर्माण की सतत साधना है।”

माल्यार्पण, स्मृति-चिह्न और शुभकामनाओं के बीच विद्यालय परिवार ने उन्हें विदाई दी। वातावरण गगनभेदी तालियों और भावनाओं से गूंज उठा।

समाज और शिक्षा जगत के लिए प्रेरणा

38 वर्षों की यह यात्रा केवल सेवा का आंकड़ा नहीं, बल्कि समर्पण, अनुशासन और मूल्यों से सजी एक गाथा है। श्रीमती ममता शर्मा आने वाली पीढ़ियों के लिए एक आदर्श के रूप में सदैव स्मरणीय रहेंगी।

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