फीस का फंदा: डीपीएस द्वारका पर मनमानी वसूली का आरोप, अभिभावकों का फूटा गुस्सा
नई दिल्ली, 5 मार्च 2025 – दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस), द्वारका, एक बार फिर विवादों के घेरे में है। अभिभावकों का आरोप है कि स्कूल प्रशासन नर्सरी और प्री-प्राइमरी कक्षाओं में प्रवेश के लिए कुल वार्षिक शुल्क का 60% अग्रिम रूप से वसूल रहा है। दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन (डीपीए) ने इस मामले को गंभीर बताते हुए शिक्षा मंत्री आशीष सूद और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की अध्यक्ष तृप्ति गुरहा को पत्र लिखकर तुरंत कार्रवाई की मांग की है।
शिक्षा के नाम पर आर्थिक दबाव : शिकायतकर्ता महेश मिश्रा, जो एक सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं, का कहना है कि डीपीएस द्वारका प्रशासन ने उनके बच्चे के प्रवेश को सिर्फ इसलिए रोक दिया क्योंकि उन्होंने इस एकमुश्त शुल्क का विरोध किया। उनका आरोप है कि स्कूल मनमाने नियम लागू कर रहा है और अभिभावकों को जबरन एक असंवैधानिक वचनबद्धता (अंडरटेकिंग) पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर कर रहा है।
“अगर अभिभावक स्कूल के बनाए नियमों का पालन नहीं करेंगे, तो उनके बच्चे का नाम काट दिया जाएगा। ये नियम संविधान से ऊपर कैसे हो सकते हैं?” –
महेश मिश्रा

डीपीएस द्वारका पर आरोपों की लंबी फेहरिस्त : डीपीएस द्वारका पहले भी विभिन्न विवादों में घिरा रहा है, जिनमें शामिल हैं:
1- मनमानी फीस वृद्धि – बिना सरकारी अनुमति के ट्यूशन फीस में वृद्धि।
2- पीटीए (पैरेंट-टीचर एसोसिएशन) में हेरफेर – मनमाने तरीके से एसोसिएशन का गठन।
3- बच्चों को मानसिक उत्पीड़न – अभिभावकों के विरोध के बाद बच्चों को अलग बैठाना।
4- निजता का उल्लंघन – फीस न भरने वाले बच्चों के नाम सार्वजनिक करना।
5- डीओई (डायरेक्टरेट ऑफ एजुकेशन) की गाइडलाइंस की अनदेखी – शिक्षा निदेशालय से बिना अनुमति के फीस बढ़ाना।
कानून और न्यायिक आदेशों की अवहेलना : 2013 में दिल्ली हाई कोर्ट ने साफ कहा था कि निजी स्कूल मासिक ट्यूशन फीस से अधिक अग्रिम शुल्क नहीं ले सकते। इसके बावजूद, डीपीएस द्वारका ने ₹1,76,540 की वार्षिक फीस में से ₹1,05,000 (लगभग 60%) एडवांस में वसूल लिया, जिसमें 6 महीने की ट्यूशन फीस और अन्य शुल्क शामिल हैं।
इतना ही नहीं, 2016 में जस्टिस फॉर ऑल नामक केस में हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि किसी भी स्कूल को बिना शिक्षा विभाग (डीओई) की अनुमति के फीस बढ़ाने का अधिकार नहीं है। डीपीएस द्वारका इस आदेश का भी उल्लंघन कर रहा है।
डीपीए की माँगें: सरकार को तुरंत कदम उठाने होंगे! डीपीए ने इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाते हुए सरकार से निम्नलिखित माँगें रखी हैं:
1- बिना शर्त प्रवेश – महेश मिश्रा के बच्चे का कानूनी फीस के आधार पर प्रवेश सुनिश्चित किया जाए।
2- डीएसईएआर 1973 के तहत कार्यवाही – स्कूल पर दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई हो।
3- जेजे एक्ट लागू किया जाए – बच्चों को मानसिक प्रताड़ना देने के लिए जुवेनाइल जस्टिस एक्ट (धारा 75) के तहत केस दर्ज हो।
4- आरटीई कानून का पालन – शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून के तहत स्कूल को निर्देश दिए जाएँ।
5 -फीस वापसी – जिन अभिभावकों से अवैध शुल्क लिया गया है, उन्हें उनकी राशि लौटाई जाए।
6- अवैध वचनबद्धता समाप्त – स्कूल द्वारा लिए गए असंवैधानिक अंडरटेकिंग को तत्काल रद्द किया जाए।
शिक्षा या व्यापार? सरकार के रुख पर सवाल
डीपीएस द्वारका का मामला कोई इकलौती घटना नहीं है। दिल्ली और देशभर में कई प्रतिष्ठित निजी स्कूल फीस वसूली को लेकर विवादों में रहे हैं। सवाल यह है कि क्या सरकार इन मामलों में कोई सख्त नीति अपनाएगी या फिर शिक्षा के इस व्यापार में मौन समर्थन जारी रहेगा?
शिक्षा मंत्री और एनसीपीसीआर को अब स्पष्ट रुख अपनाने की जरूरत है ताकि ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति न हो। अगर सरकार ने समय रहते हस्तक्षेप नहीं किया, तो देशभर के अभिभावकों का भरोसा शिक्षा व्यवस्था से उठ जाएगा।
यह सिर्फ एक स्कूल की समस्या नहीं है, यह पूरे शिक्षा तंत्र की विश्वसनीयता का सवाल है।
अपराजिता गौतम (अध्यक्ष, दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन) – 9958949405
महेश मिश्रा (शिकायतकर्ता) – 9811839039
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