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सीलमपुर एसडीएम कार्यालय के बाहर अवैध पार्किंग और भ्रष्टाचार का खेल!

सीलमपुर एसडीएम कार्यालय के बाहर अवैध पार्किंग और भ्रष्टाचार का खेल!

दिल्ली के उत्तर-पूर्वी जिले में स्थित सीलमपुर जिला दंडाधिकारी (एसडीएम) कार्यालय के बाहर गाड़ियों की लंबी कतार आम नजारा बन चुकी है। खास बात यह है कि कार्यालय के ठीक सामने एमसीडी द्वारा अधिकृत पार्किंग मौजूद है, लेकिन इस पार्किंग का सही उपयोग न होकर, यह भ्रष्टाचार और अव्यवस्था का केंद्र बन गई है। अवैध रूप से भरी रहती है पार्किंग इस पार्किंग को व्यक्तिगत वाहनों के लिए बनाया गया था, लेकिन इसमें अवैध रूप से कमर्शियल (वाणिज्यिक) वाहनों को खड़ा कर दिया जाता है। नतीजा यह होता है कि जब आम नागरिक एसडीएम कार्यालय किसी काम से आते हैं, तो उन्हें अपनी गाड़ी पार्क करने के लिए जगह ही नहीं मिलती। मजबूरी में वे अपनी गाड़ियों को कार्यालय के बाहर ही सड़क किनारे खड़ा कर देते हैं।

ट्रैफिक पुलिस का दोहरा रवैया

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जो वाहन सामने वाली पार्किंग के संचालक से पर्ची कटवाकर सड़क किनारे खड़े किए जाते हैं, उन्हें दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की क्रेन नहीं उठाती। लेकिन जो वाहन बिना पर्ची कटवाए सड़क पर खड़े होते हैं, उन्हें तुरंत उठा लिया जाता है। यह सवाल उठता है कि ट्रैफिक पुलिस को इतनी सटीक जानकारी कैसे मिल जाती है कि कौन-सी गाड़ी की पार्किंग पर्ची कटी है और कौन-सी बिना पर्ची के खड़ी है? ऐसा प्रतीत होता है कि एमसीडी द्वारा संचालित इस पार्किंग और ट्रैफिक पुलिस के बीच अवैध सांठगांठ चल रही है।

भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें, कमर्शियल वाहनों की भरमार :

अधिकृत पार्किंग में व्यक्तिगत वाहनों की जगह अवैध रूप से कमर्शियल वाहन पार्क कर दिए जाते हैं। *सड़क पर पर्ची के सहारे वैध पार्किंग* : यदि कोई व्यक्ति पार्किंग की पर्ची कटवा लेता है, तो उसकी गाड़ी को सड़क पर खड़ा करने के बावजूद ट्रैफिक पुलिस कुछ नहीं कहती।

बिना पर्ची वाली गाड़ी तुरंत उठाई जाती है:

यदि कोई व्यक्ति पार्किंग संचालक को पर्ची के लिए पैसे नहीं देता और सड़क पर गाड़ी खड़ी करता है, तो उसकी गाड़ी ट्रैफिक पुलिस की क्रेन तुरंत उठा लेती है।

आम जनता को परेशानी :

इस अव्यवस्था के कारण आम नागरिकों को हर रोज पार्किंग की समस्या से जूझना पड़ता है और उन्हें जबरन पैसे देने पर मजबूर किया जाता है।

क्या प्रशासन उठाएगा कोई सख्त कदम?

यह पूरा मामला प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े करता है। यदि एमसीडी द्वारा अधिकृत पार्किंग का सही उपयोग नहीं हो रहा है, तो प्रशासन को इस पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।

1. कमर्शियल वाहनों को पार्किंग से हटाया जाए।

2. पार्किंग संचालक द्वारा अवैध रूप से सड़क पर पार्किंग करवाने और पैसे वसूलने की जांच हो।

3. ट्रैफिक पुलिस की भूमिका की जांच की जाए कि वह किस आधार पर गाड़ियां उठा रही है और किसे छूट दे रही है।

यदि इस भ्रष्टाचार को रोका नहीं गया, तो आने वाले समय में आम नागरिकों के लिए सरकारी कार्यालयों में जाना और भी मुश्किल हो जाएगा। प्रशासन को इस मामले का संज्ञान लेकर सख्त कदम उठाने की जरूरत है ताकि पार्किंग व्यवस्था पारदर्शी और सुचारू रूप से संचालित हो सके।

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