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अपराध मुक्त समाज के लिए स्कूलों में कानूनी शिक्षा और कानून स्नातक शिक्षक की उपलब्धता अनिवार्य हैं

16.9.25 और 18.9.25 को सरकारी सर्वोदय कन्या विद्यालय जनकपुरी और केंद्रीय विद्यालय सेक्टर 8 रोहिणी के 300 से अधिक लड़कियों और लड़कों ने विशेष रूप से ह्यूमैनिटीज और कॉमर्स स्ट्रीम के छात्र और छात्राओं के लिए ग्यारहवीं कक्षा से कानूनी अध्ययन विषय Legal studies चुनकर उनकी फाउंडेशन और कैरियर निर्माण परामर्श सत्र में भाग लिया।

ये अवसर स्कूलों में कानूनी शिक्षा उपलब्द करा कर समाज में बच्चों और महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों के अलावा साइबर अपराध की रोकथाम पर ब्रीफिंग का था, कानून की अज्ञानता और माता-पिता, समाज, शिक्षा विभाग द्वारा 2013 से स्कूलों में कानूनी अध्ययन विषय को नजर अंदाज करना समाज में अपराध होने का प्रमुख कारण है

श्रीमती शिल्पा सूद एचओएस जीएसकेवी जनकपुरी और श्रीमती शोभा शर्मा एचओएस केवी केंद्रीय विद्यालय सेक्टर 8 रोहिणी ने इंस्टा पर छात्रों द्वारा गुप्त अकाउंट खोल कर एक दूसरे के बीच झड़प से बचने के लिए स्कूल में कानूनी अध्ययन की आवश्यकता को स्वीकार किया और सूचित किया कि लीगल स्टडीज विषय डीओई और आयुक्त केवीएस निर्देश के बिना संभव नहीं है
मौका पर की गई एक्टिविटी में छात्रों द्वारा करियर के रूप में चुने गए पहले तीन लक्ष्यों के विश्लेषण से यह स्पष्ट था कि उनमें कानूनी अध्ययन एक अनिवार्य शर्त है।
206 बच्चो ने जज वकील पुलिस सीए सीएस सीईओ बिजनेस मीडिया बनने का विकल्प चुना। 285 छात्रों ने कानूनी अध्ययन विषय चुनने की इच्छा व्यक्त की।

यह उल्लेखनीय है कि मिशन लीगल स्टडीज इंडिया अभियान के तहत श्री पुंज की कानून का कायदा पहल को सभी भारतीय स्कूलों में कानूनी अध्ययन विषय के लिए कानून स्नातक शिक्षक की शिक्षण और भर्ती को बढ़ावा देने का श्रेय मिला, जिस पर 2013 से ध्यान नहीं दिया जा रहा था
वीरेंद्र पुंज पूर्व एसीपी से सामाजिक कानूनी कार्यकर्ता बने और वकील है ने प्रधानाचार्या को सीबीएसई अधिसूचना और सीबीएसई के प्रासंगिक रिकॉर्ड और 2023 में दिल्ली में उत्तर पूर्व जिला क्षेत्र के स्कूलों में कानूनी अध्ययन विषय शुरू करने के पिछले आदेशों को छात्रों और सुरक्षित समाज के बेहतर हित में सकारात्मक विचार के लिए उच्च अधिकारियों के समक्ष रखने का प्रस्ताव दिया
वही हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर और दिल्ली के शिक्षा विभाग और केंद्रीय विद्यालय और जवाहर नवोदय विद्यालय ने आरटीआई के तहत जवाब में स्वीकार किया है कि इस मामले में शिक्षा निदेशालय से हां की जरूरत है।

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