नटवर सिंह का इंदिरा गांधी को पत्र और फिर… दिल्ली कोपरनिकस मार्ग के नाम की कहानी
मुमकिन है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी हालिया पोलैंड यात्रा के दौरान वहां के प्रधानमंत्री डॉनल्ड टस्क को बताया हो कि नई दिल्ली के दिल में एक सड़क पोलैंड के महान खगोलशास्त्री निकोलस कोपरनिकस के नाम पर है। 1973 तक इसका नाम होता था लिटन रोड। रॉबर्ट लिटन 1876-1880 के दौरान भारत में वायसराय थे। लिटन रोड का नाम बदलने के लिए पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने खासी मशक्कत की थी। नटवर सिंह, जिनका बीते महीने निधन हुआ, 1970 के दशक के आरंभ में भारत के पोलैंड में राजदूत थे।
नटवर सिंह की गुजारिश और बदल गया नाम
पोलैंड में जब 1973 में निकोलस कोपरनिकस की 550 वीं जयंती मनाई जा रही थी, तब नटवकर सिंह वहीं थे। उन्होंने उस वक्त भारत सरकार से गुजारिश की थी कि नई दिल्ली की किसी सड़क का नाम निकोलस कोपरनिकस के नाम पर रखना सही रहेगा। पोलैंड की राजधानी वारसा में तब तक महात्मा गांधी और पंडित जवाहरलाल नेहरू के नामों पर सड़कें थीं। पर यह आसानी से नहीं हुआ। फिर नटवर सिंह ने एक खत सीधे प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को लिखा। वह बताते थे- ‘मैंने अपने पत्र में कहा कि पोलिश खगोलशास्त्री के नाम पर राजधानी की किसी सड़क का नाम रखा जाना चाहिए। हम कम से कम निकोलस कोपरनिकस के नाम पर एक सड़क का नाम तो रख ही सकते हैं।’
नटवर सिंह की सलाह पर लिटन रोड का नाम बदल दिया गया। उन्हें प्रधानमंत्री के मीडिया सलाहकार एचवाई शारदा प्रसाद ने सरकार के फैसले की जानकारी भी दे दी। आप कह सकते हैं कि निकोलस कोपरनिकस के बाद राजधानी में संसार के कई नायकों के नामों पर सड़कों के नाम रखे जाने लगे। इनमें दक्षिण अफ्रीका के महानायक नेल्सन मंडेला, मिस्र के नेता गमाल आब्देल नासेर, घाना के स्वतंत्रता आंदोलन के शिखर नेता क्वामे नकरूमा, स्वीडन के प्रधानमंत्री ओल्फ पाल्मे, मार्क्स, लेनिन, स्टालिन की साम्यवादी परंपरा की एशियाई कड़ी हो चि मिन्ह, बांग्लादेश के संस्थापक बंगबंधु मुजीब उर रहमान शामिल हैं। अफसोस कि मुजीब की मूर्ति को बांग्लादेश में तोड़ दिया गया।
दिल्ली में कई सड़कों का नाम बदला
दरअसल ब्रिटिश सरकार ने नई दिल्ली का 13 फरवरी, 1931 को उद्घाटन करने से पहले ही यहां की सड़कों के नाम इतिहासकार पर्सिवल स्पीयर की सलाह पर रखे थे। देश आजाद हुआ तो जाहिर है कि लोकतंत्र की बयार बहने लगी। तब सरकार ने अलबुर्कर रोड का नाम कर दिया तीस जनवरी मार्ग। आप जानते हैं कि तीस जनवरी का खास मतलब है। गांधी जी की इसी दिन, 1948 को अलबुर्कर रोड के बिड़ला हाउस में हत्या की गई थी। बेशक, यह लुटियंस दिल्ली की पहली सड़क थी जिसका नाम बदला गया था। अफोंसो दे अलबुर्कर (1453–1515) गोवा के गवर्नर थे। उन्हीं के नाम पर थी यह सड़क। उनका जन्म पुर्तगाल में हुआ था और निधन गोवा में। मतलब ब्रिटिश सरकार ने नई दिल्ली की कुछ सड़कों के नाम कुछ गैर-ब्रिटिश और गैर-भारतीय हस्तियों के नामों पर भी रखे थे।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.