दिल्ली पुलिस की लापरवाही: एक बेटी के साथ न्याय का मखौटा फटा
दिल्ली के उत्तरी पूर्वी जिला के दयालपुर थाना क्षेत्र में घटित एक दिल दहला देने वाली घटना ने दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। 2019 में एक नाबालिग बच्ची के साथ हुई यौन हिंसा का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि एक बार फिर उसी बच्ची के साथ कुछ ऐसा हुआ जिसने उसके माता-पिता की नींद उड़ा दी। दूसरी घटना में बच्ची स्कूल जाते समय बेहोश होकर गिर गई। माता-पिता को लगा कि शायद उनकी बेटी बीमार हो गई है, लेकिन जब उन्होंने बच्ची से पूछताछ की तो उन्हें पता चला कि किसी अजनबी ने उसे फ्रूटी दी थी। बच्ची के पास पैसे नहीं थे, इसलिए यह बात और भी संदिग्ध लग रही थी। माता-पिता ने तुरंत डॉक्टर से संपर्क किया, लेकिन डॉक्टर मेडिकल जांच (एमएलसी) कराने के लिए तैयार नहीं थे। आखिरकार काफी मनाने के बाद डॉक्टर एमएलसी के लिए राजी हुए। इसके बाद जब अस्पताल में तैनात चौकी इंचार्ज ने केस की जांच अधिकारी शैली जैन से एमएलसी कराने की अनुमति मांगी तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि इसकी कोई जरूरत नहीं है। चौकी इंचार्ज ने भी इस बात को स्वीकार किया कि एमएलसी कराने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। यह घटना दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली पर कई गंभीर सवाल खड़े करती है: बच्ची के साथ हुई घटना की गंभीरता को नजरअंदाज करना: पुलिस अधिकारियों ने एक बार फिर एक नाबालिग बच्ची के साथ हुई संभावित घटना को गंभीरता से नहीं लिया। एमएलसी कराने से इनकार करना: एमएलसी एक महत्वपूर्ण साक्ष्य है जो किसी भी अपराध की जांच में मदद कर सकता है। लेकिन पुलिस अधिकारियों ने एमएलसी कराने से इनकार कर दिया, जिससे लगता है कि वे इस मामले को दबाने की कोशिश कर रहे हैं। दोषी को पहले भी मिल चुकी है जमानत: इस मामले का आरोपी पहले भी साढ़े तीन साल जेल में रहने के बाद जमानत पर बाहर आ चुका है। इससे यह भी संकेत मिलता है कि पुलिस इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रही है। यह घटना एक बार फिर यह साबित करती है कि हमारे समाज में बच्चों की सुरक्षा को लेकर कितनी लापरवाही बरती जाती है। पुलिस का काम अपराधियों को पकड़ना और पीड़ितों को न्याय दिलाना होता है, लेकिन इस मामले में पुलिस ने अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लिया है। इस मामले की जांच उच्च स्तर पर कराई जानी चाहिए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। साथ ही, बच्चों की सुरक्षा के लिए कड़े कानून बनाए जाने चाहिए और उनका सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। यह मामला एक बेटी के साथ न्याय का मखौटा फटने की कहानी है। यह हमें याद दिलाता है कि हमारे समाज में अभी भी बहुत कुछ बदलने की जरूरत है।
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