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राहुल ने ट्रैकमैन से मुलाकात की:बोले- रेलवे को सुरक्षित रखने वालों के लिए सिस्टम में न प्रमोशन है, न इमोशन, ट्रैकमैन सबसे ज्यादा उपेक्षित

रेलवे को गतिशील और सुरक्षित बनाए रखने वाले ट्रैकमैन भाइयों के लिए सिस्टम में ‘न कोई प्रमोशन है, न ही इमोशन’। भारतीय रेल कर्मचारियों में ट्रैकमैन सबसे ज्यादा उपेक्षित हैं, उनसे मिल कर उनकी समस्याओं और चुनौतियों को समझने का मौका मिला।

ट्रैकमैन 35 किलो औजार उठाकर रोज 8-10 कि.मी. पैदल चलते हैं। उनकी नौकरी ट्रैक पर ही शुरू होती है और वो ट्रैक से ही रिटायर हो जाते हैं । जिस विभागीय परीक्षा को पास कर दूसरे कर्मचारी बेहतर पदों पर जाते हैं, उस परीक्षा में ट्रैकमैन को बैठने भी नहीं दिया जाता।

ट्रैकमैन भाइयों ने बताया कि हर साल करीब 550 ट्रैकमैन काम के दौरान दुर्घटना का शिकार होकर जान गंवा देते हैं, क्योंकि उनकी सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। विपरीत परिस्थितियों में बिना बुनियादी सुविधाओं के दिन-रात कड़ी मेहनत करने वाले ट्रैकमैन भाइयों की इन प्रमुख मांगों को हर हाल में सुना जाना चाहिए।

एक दिन पहले राहुल ने डीटीसी कर्मचारियों से मुलाकात का वीडियो शेयर किया था

सोमवार (2 सितंबर) को राहुल ने अपने X हैंडल पर DTC कर्मचारियों से मुलाकात की वीडियो शेयर किया था। उन्होंने पोस्ट के साथ लिखा कि DTC कर्मचारी कॉन्ट्रैक्ट आधार पर नौकरी कर रहे हैं, जिसकी वजह से एक बड़ी जिम्मेदारी वाला काम मजबूरी जैसा हो गया है। स्थायी नौकरी न होने के कारण इन कर्मचारियों को न सामाजिक सुरक्षा मिलती है और न स्थिर आय।

जहां ड्राइवर और कंडक्टर अनिश्चितताओं के अंधेरों में जीने को मजबूर हैं, वहीं यात्रियों की सुरक्षा में निरंतर तैनात होमगार्ड्स को 6 महीने से वेतन नहीं मिला है। इस उपेक्षा से परेशान देशभर के सरकारी कर्मचारियों की तरह DTC वर्कर्स भी लगातार निजीकरण के डर के साए में जी रहे हैं।

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