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दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सरकार, ज़िंदगियां बचाने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं है

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वैश्विक महामारी के जीवन में, मार्च अब जून में बदल चुका है, और दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सरकार, ज़िंदगियां बचाने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं है. ख़राब बात ये है कि अब वो हर किसी के ऊपर आरोप मढ़ रही है, और कोविड-19 के डेटा में हेर-फेर करके, ये बता रही है कि सब कुछ ठीक-ठाक है. लॉकडाउन का पूरा मकसद यही था, कि कोविड मरीज़ों की होने वाली भरमार के लिए, चिकित्सा ढांचे को तैयार किया जा सके. हमने मार्च-अप्रैल में ही देख लिया था, कि इटली, स्पेन और यूके में चीज़ें कैसी थीं हमें बहुत पहले चेतावनी मिल गई थी, कि ऐसी हालत में क्या होता है: ज़िंदगियां बचाई नहीं जा सकतीं. ज़िंदगियां इसलिए नहीं बचाई जा सकतीं, क्योंकि पर्याप्त संख्या में डॉक्टर्स, नर्सें, वॉर्ड पर्सन्स, ऑक्सीजन सिलेंडर्स, वेंटिलेटर्स, आईसीयूज, या सीधे से बेड्स नहीं होते. और जब लोग मरते हैं, तो शव वाहनों और अंतिम संस्कार की सुविधाएं भी कम पड़ जाती हैं. इन सभी के बारे में हमें मजबूरन पूछना पड़ता है: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आख़िर कर क्या रहे थे? अरविंद केजरीवाल की ढिलाई की वजह से, दिल्ली ने अपना लॉकडाउन बेकार कर दिया है. वो सब तकलीफ़ें जिनसे शहर को गुज़रना पड़ा, उनका कोई मतलब नहीं था. वो सब मज़दूर जो अपना काम छूट जाने की वजह से अपने घर लौट रहे थे, उन्हें ये सब कष्ट उठाने की ज़रूरत नहीं थी. दिल्ली अब वैसे भी अब कम्युनिटी ट्रांसमिशन की चपेट में है- आईसीएमआर भले ही राग अलापती रहे कि भारत में अभी कोई कम्युनिटी फैलाव नहीं है, और दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी, उसे इस्तेमाल करके यही दावा कर सकते हैं लेकिन केजरीवाल सरकार का इस बात को स्वीकारना, कि वो दिल्ली में कोरोनावायरस के लगभग 50 प्रतिशत मामलों में, इन्फेक्शन की सोर्स का पता नहीं लगा पाई, हमें वो चीज़ बताता है, जो कोई अधिकारिक रूप से स्वीकार नहीं करेगा. दिल्ली सरकार एक ऐसे हमले के ख़िलाफ मेडिकल लड़ाई नहीं छेड़ सकी, जिसके आने का उसे पता था. अगर दिल्ली की तैयारियों को इस बात से झटका लगा, कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार, या बीजेपी के नियंत्रण वाले शहर के नगर निगमों ने सहयोग नहीं किया, तो अरविंद केजरीवाल को खुलकर ये कहना चाहिए. अगर ये पांच साल पहले होता, तो बिना किसी हिचक के, वो मोदी पर आरोप मढ़ देते. आज उन्होंने मोदी सरकार के सामने समर्पण कर दिया है, और दूसरे बलि के बकरे ढूंढ़ रहे हैं, जैसे कि ‘बाहरी लोग’ और निजी अस्पताल. आज अगर निजी अस्पताल कोविड-19 के मरीज़ों से ज़्यादा चार्ज कर रहे हैं, या उन्हें लौटा रहे हैं, या जान बूझकर उनके इलाज के लिए अपनी सुविधाएं इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं, तो इसके लिए अरविंद केजरीवाल को दोष दीजिए, क्योंकि उन्होंने समय रहते इन मसलों को नहीं सुलझाया, और वो इसलिए, कि गाड़ी चलाते हुए वो सो रहे थे. यहां दिक्कत ये है कि केजरीवाल समझ नहीं पा रहे, कि मसला सिर्फ बेड्स का नहीं है, बल्कि उन तमाम स्पेशल कोविड सुविधाओं का है, जो उनके साथ चाहिए, जैसे कि एयर हैण्डलिंग यूनिट्स. अस्पताल के किसी वॉर्ड को, कोविड से निपटने लायक बनाने में कई दिन लग जाते हैं, जिसमें मेडिकल स्टाफ के संक्रमित हुए बिना, मरीज़ों का इलाज किया जा सके #corona #covid19 #delhi_government #arvind_kejriwal #leaddelhi #ajay_jain #delhi_hospitals #medical_facility

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