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पहले लॉकडाउन से कितना अलग है दूसरा लॉकडाउन

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन बढ़ाने के लिए जो राष्ट्र को संबोधन दिया वो लगभग 26 मिनट का था जबकि 24 मार्च को पहली बार राष्ट्र को दिया गया संबोधन 29 मिनट लंबा था.

पहले राष्ट्र के नाम संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि लोग परेशान होकर ख़रीदारी न शुरू कर दें क्योंकि इस दौरान ज़रूरी चीज़ों पर कोई रोक नहीं होगी बल्कि ज़रूरत के सामान की आपूर्ति पहले की तरह ही चालू रहेगी.

लॉकडाउन बढ़ाने को लेकर दिए गए भाषण में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोहराया कि देश में अनाज और दवाओं की कमी नहीं है इसलिए परेशान होने की ज़रूरत नहीं है.

उन्होंने पहले भाषण में कहा था कि देश में सबकुछ बंद रहेगा. इसके बाद रेलवे ने 31 मार्च तक अपनी सभी ट्रेनें रद्द कर दी थीं जिसके बाद इसे बढ़ाकर 14 अप्रैल कर दिया था.रेल मंत्रालय ने ये साफ़ कर दिया है कि मालगाड़ियों को छोड़कर सभी तरह की ट्रेनों का परिचालन 3 मई की आधी रात तक के लिए बंद कर दिया गया है.

पहले लॉकडाउन की घोषणा के बाद कई राज्यों में पुलिस की सख़्ती देखने को मिली थी. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि अगले एक सप्ताह के लिए और सख़्ती की जाएगी. हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में साफ़ किया कि यह फ़ैसला ग़रीब और मज़दूर लोगों को ध्यान में रखकर किया जा रहा है और जिन इलाक़ों को 20 अप्रैल के बाद छूट दी जाएगी उसमें कुछ व्यावसायिक गतिविधियां की जा सकती हैं.

25 मार्च के बाद शुरू हुए लॉकडाउन के दौरान देश के किसानों में भी अफ़रातफ़री थी. वो खेतों में खड़ी रबी की फसल की कटाई के इंतज़ार में थे. हालांकि, कुछ ही दिनों में सभी राज्यों ने अपने यहां किसानों को कृषि गतिविधियों के लिए छूट दे दी थी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को दिए भाषण में बताया कि देश के पास इस समय एक लाख से अधिक बेड हैं और 600 से अधिक अस्पताल केवल कोरोना वायरस पर ही काम कर रहे हैं.

आज दिए अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों का भी ज़िक्र किया. उन्होंने कहा कि रबी फसल की कटाई और कुछ कृषि गतिविधियां किसान चालू रखें.

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