अवैध फीस वृद्धि: महाराजा अग्रसेन मॉडल स्कूल, पीतमपुरा का घोटाला और सरकार की लापरवाही
पीतमपुरा, दिल्ली: महाराजा अग्रसेन मॉडल स्कूल, पीतमपुरा (स्कूल आईडी – 1411182) द्वारा अवैध और मनमानी फीस वृद्धि का मामला अब सिर्फ एक स्कूल का नहीं, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र की धज्जियां उड़ाने वाला मुद्दा बन गया है।
यह स्कूल, जो डीडीए द्वारा आवंटित भूमि पर स्थित है, ने शिक्षा निदेशालय (डीओई) की मंजूरी के बिना 2017-18 से फीस में अभूतपूर्व वृद्धि की है। यह न केवल दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम (डीएसईएआर) 1973 का उल्लंघन है, बल्कि सरकार की निष्क्रियता पर भी सवाल उठाता है।
शिक्षा का व्यवसायीकरण
सरकार ने शिक्षा को अधिकार के रूप में पेश किया है, लेकिन ऐसे मामलों में उसकी लापरवाही इसे एक व्यवसाय में बदलने का संकेत देती है। अभिभावक अब सरकारी तंत्र को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं, क्योंकि वे देख रहे हैं कि कैसे स्कूल न केवल शिक्षा के मानकों को गिरा रहे हैं, बल्कि कानून की धज्जियां भी उड़ा रहे हैं। स्कूल ने 193% तक की फीस वृद्धि की है, जबकि अभिभावकों को स्वीकृत दरों से कहीं अधिक भुगतान करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
प्रमुख घटनाक्रम
कानूनी नोटिस का मुद्दा: स्कूल ने 200 से अधिक छात्रों के अभिभावकों को कानूनी नोटिस भेजकर अवैध शुल्क वसूलने की मांग की है। इस कदम से न केवल छात्रों को मानसिक तनाव हो रहा है, बल्कि यह भी स्पष्ट होता है कि सरकार अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल रही है।
एस.एल.सी. का जारी होना: अवैध शुल्क का भुगतान न करने के कारण, कई छात्रों को स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र (एस.एल.सी.) जारी किया गया है। यह स्थिति अभिभावकों के लिए कठिनाई का कारण बन रही है, और यह शिक्षा प्रणाली की क्रूरता को उजागर करती है।
भविष्य की धमकी: स्कूल ने 3 अक्टूबर, 2024 से कानूनी नोटिस प्राप्त करने वाले छात्रों को और भी अधिक सख्ती दिखाते हुए एस.एल.सी. जारी करने की धमकी दी है, जिससे अभिभावकों में डर और असुरक्षा का माहौल बन गया है।
शिक्षा निदेशालय के आदेशों का उल्लंघन: शिक्षा निदेशालय ने कई बार अतिरिक्त फीस वापस लेने के निर्देश दिए हैं, लेकिन स्कूल ने इन आदेशों की पूरी तरह अनदेखी की है। यह दर्शाता है कि सरकार की प्रणाली कितनी कमजोर है, जब स्कूल उसके आदेशों को मानने से भी इनकार कर रहे हैं।
धन का गबन: पिछले छह वर्षों में अभिभावकों को लगभग ₹17 करोड़ का अतिरिक्त भुगतान करना पड़ा है। यह सिर्फ एक वित्तीय समस्या नहीं है, बल्कि यह एक गंभीर धोखाधड़ी का मामला है, जो कि सरकारी प्रणाली की निष्क्रियता को उजागर करता है।
अभिभावकों की मांगें
अभिभावक अब ठोस कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, जिसमें शामिल हैं:
कानूनी नोटिस और एस.एल.सी. को रद्द किया जाए।
शिक्षा विभाग द्वारा स्वीकृत शुल्क संरचना की जानकारी प्रदान की जाए।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों के खिलाफ सतर्कता जांच हो।
निष्कर्ष
हाल ही में, 150 से अधिक अभिभावक शिक्षा विभाग के बाहर एकत्र हुए, लेकिन कोई अधिकारी उनसे मिलने नहीं आया। उपराज्यपाल को याचिका सौंपने के बावजूद, उन्हें केवल आश्वासन मिले। यह स्थिति बताती है कि सरकार शिक्षा के मुद्दों पर कितनी लापरवाह है। अभिभावकों का कहना है कि वे इस अन्याय के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेंगे और किसी भी तरह के उत्पीड़न के खिलाफ एकजुट रहेंगे।
महाराजा अग्रसेन मॉडल स्कूल का यह मामला केवल एक स्कूल का नहीं है, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ती हुई अनियमितताओं और अभिभावकों के अधिकारों की हनन का प्रतीक है। सरकार को चाहिए कि वह शिक्षा प्रणाली को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाए और सुनिश्चित करे कि छात्रों और अभिभावकों के हितों की रक्षा की जाए। यह समय है जब सरकार को अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा और शिक्षा को व्यवसायीकरण से बचाने के लिए ठोस नीतियों को लागू करना होगा।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.