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17 सितंबर का दिन देश के किसानों के लिए काला दिन माना जाएगा, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन पर देश को किसान विरोधी बिलों का तोहफा दिया है- भगवंत मान

17 सितंबर का दिन देश के किसानों के लिए काला दिन माना जाएगा, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन पर देश को किसान विरोधी बिलों का तोहफा दिया है- भगवंत मान

  • कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल, दोनों ही इन किसान विरोधी बिलों के लिए समान रूप से जिम्मेदार हैं- भगवंत मान
  • कल हमने शिरोमणि अकाली दल द्वारा हरसिमरत कौर बादल के कैबिनेट पद से इस्तीफे देने के रूप में एक ढोंग देखा, अब इस्तीफा देने का क्या मतलब है- भगवंत मान
  • पिछले 3-4 महीनों से अकाली दल इन विधेयकों की बड़ाई कर रहा था, अब उन्होंने यू-टर्न ले लिया है, लेकिन वे एनडीए नहीं छोड़ रहे हैं, यह पंजाब के किसानों के साथ धोखा है- भगवंत मान
  • मैं सभी राज्यसभा के सांसदों से इन बिलों के खिलाफ मतदान करने का अनुरोध करता हूँ- भगवंत मान

नई दिल्ली, 18 सितंबर, 2020

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और लोकसभा सांसद भगवंत मान ने शुक्रवार को कहा कि 17 सितंबर का दिन भारत के किसानों के लिए काला दिन माना जाएगा, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दिन अपने जन्मदिन पर देश को किसान विरोधी बिलों का एक तोहफा दिया है। उन्होंने कहा कि इन बिलों के लिए कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल दोनों समान रूप से जिम्मेदार हैं। श्री मान ने कहा कि कल हमने शिरोमणि अकाली दल द्वारा हरसिमरत कौर बादल के कैबिनेट पद से इस्तीफा के रूप में एक ढोंग देखा, लेकिन अब इस्तीफा देने का क्या मतलब है। उन्होंने कहा कि पिछले 3-4 महीनों से अकाली दल इन बिलों की बड़ाई कर रहा था, अब उन्होंने यू-टर्न ले लिया है, लेकिन वे एनडीए नहीं छोड़ रहे हैं और यह पंजाब के किसानों के साथ धोखा है। श्री भगवंत मान ने सभी राज्यसभा सांसद से इस विधेयक के विरुद्ध मतदान करने का अनुरोध किया है।

पार्टी मुख्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए आम आदमी पार्टी के लोकसभा सांसद भगवंत मान ने कहा कि 17 सितंबर 2020 का दिन इतिहास में खेती और खेती से जुड़े तमाम लोगों के जीवन में काले दिवस के तौर पर जाना जाएगा। क्योंकि इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने किसान की जमीन, किसान से छीन कर पूंजीपतियों के हाथ में देकर देश के किसानों को अपने जन्मदिन के अवसर पर यह काला तोहफा दिया है।

भगवंत मान ने बताया कि जब सदन में इस अध्यादेश पर चर्चा हुई तो आम आदमी पार्टी ने सदन में इसका विरोध किया। भगवंत मान ने कहा कि अन्नदाता कहलाने वाला किसान जो अपने ट्रैक्टर पर लिखता है, खेतों का राजा, केंद्र में बैठी भाजपा सरकार के इस अध्यादेश के आने के बाद वह अन्नदाता खुद भिखारी हो जाएगा और उसका ट्रैक्टर जिस पर वह खेतों का राजा लिखता है, वह भी बिकाऊ हो जाएगा। क्योंकि जब केंद्र सरकार की मेहरबानी से बड़े बड़े खिलाड़ी इस मैदान में उतर आएंगे तो छोटे किसानों को कौन पूछेगा।

उत्तर प्रदेश के रुद्रपुर का उदाहरण देते हुए भगवंत मान ने कहा कि वह पूरा जंगल का इलाका था। पंजाब के किसानों ने उस जंगल में जाकर जानवरों के हमलों से जूझ कर, शेरों के हमलों से जूझ कर उस जंगल की जमीन को खेती के योग्य बनाया और आज वहां पर भरपूर मात्रा में अनाज उगाया जाता है। भगवंत मान ने केंद्र में बैठी भाजपा सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि जो कौम शेरों से लड़ सकती है, उससे छेड़खानी करने की कोशिश न करो। यदि किसान एक बार बिगड़ गया, तो कोई पुलिस की गोली, कोई लाठी, कोई जेल इस क्रांति को नहीं रोक पाएगी। भगवंत मान ने कहा कि हरित क्रांति के तहत आज स्थिति यह हो गई है कि पंजाब में जमीन में पानी 600 से 700 फुट की गहराई पर मिलता है। आज पंजाब मरुस्थल बनने की कगार पर खड़ा हुआ है। पंजाब के किसानों ने देश की खातिर अपनी जमीन का पानी भी निकाल कर दे दिया और अपनी जमीन पर उगाया हुआ अन्य भी देश को दे दिया। यह बेहद ही दुख की बात है कि आज उसी किसान को एफसीआई ने साफ तौर पर उनकी फसलें खरीदने से इंकार कर दिया। यह पंजाब के किसानों के साथ बहुत बड़ा धोखा है।

भगवंत मान ने कहा कि देश के किसान के साथ यह जो अमानवीय काम हो रहा है, इसके लिए कांग्रेस भी उतनी ही जिम्मेदार है जितना कि अकाली दल जिम्मेदार है। अकाली दल पर निशाना साधते हुए भगवंत मान ने कहा कि अब हरसिमरत कौर बादल जी मंत्री पद से इस्तीफा देने का ढोंग कर रही हैं। परंतु इस इस्तीफे के देने से पंजाब के किसानों के हक में कोई लाभ नहीं होने वाला, क्योंकि जब इस अध्यादेश का विरोध करने की जरूरत थी, जब इस्तीफा देने की जरूरत थी, केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की जरूरत थी, उस समय पूरा का पूरा अकाली दल भाजपा के साथ खड़ा था और किसानों को नुकसान पहुंचाने वाले इस अध्यादेश का समर्थन कर रहा था। उन्होंने कहा यह कोई पहली बार नहीं है, एनआरसी के समय में भी अकाली दल ने सदन में तो उस बिल का समर्थन किया और पंजाब की जनता के सामने जाकर उसका विरोध करने का झूठा ड्रामा रचा था। इसी प्रकार से जमीन अधिग्रहण बिल के मामले में भी सदन में सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे और पंजाब जाकर जनता के सामने उसके विरोध करने का नाटक किया। कांग्रेस पर हमला करते हुए भगवंत मान ने कहा कि कांग्रेस का दोहरा चरित्र भी देश और पंजाब के किसानों के सामने बेनकाब हो गया है। एक तरफ तो जब मुख्यमंत्रीयों की बैठक होती है, तो कैप्टन अमरिंदर सिंह जी इस अध्यादेश का समर्थन करते हैं, कहते हैं कि हां यह बिल आना चाहिए और मीटिंग से बाहर निकलने के बाद जनता के सामने झूठा ढोंग करते हैं। भगवंत मान ने कहा कि अब यह दोहरा चाल चरित्र जनता के सामने नहीं चलने वाला है। अब सूचनाओं का दौर है जनता को हर खबर पता चल जाती है।

भगवंत मान ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने सत्ता में आने से पहले अपने घोषणापत्र में वादा किया था कि सभी किसानों का कर्जा माफ किया जाएगा। सत्ता में आने के बाद कांग्रेस अपना वादा भूल गई, किसी किसान का कर्जा माफ नहीं हुआ। 10 साल तक भाजपा और अकाली दल की गठबंधन की सरकार पंजाब में रही, किसानों की आत्महत्या होती रही और उसी प्रकार से कांग्रेस के राज में भी आत्महत्याओं का सिलसिला आज भी जारी है।

भगवंत मान ने कहा कि आम आदमी पार्टी हमेशा से किसानों के हक में खड़ी रही है। हमने जमीन पर भी इस अध्यादेश का विरोध किया, संसद में भी इस अध्यादेश का विरोध किया, किसानों ने जब भी इस अध्यादेश के खिलाफ प्रदर्शन किया, उसमें भी हम किसानों के साथ खड़े रहे। किसान यूनियन ने हमसे संपर्क किया, तो हम ने आश्वासन दिया कि हम सदन में इस अध्यादेश के खिलाफ वोट करेंगे और हमने अपना वादा निभाया, सदन में हमने इस अध्यादेश के खिलाफ वोट किया।

सुखबीर बादल पर निशाना साधते हुए भगवंत मान ने कहा कि सुखबीर बादल जी कहते हैं कि मैं भी किसान हूं। मैं सुखबीर बादल जी से कहना चाहूंगा कि देश के बाकी किसानों को भी वह फार्मूला बता दें जिससे कि खेती करके किसान 1000 बसें, फाइव स्टार होटल, और हेलीकॉप्टर की कंपनी बना सकें, देश के गरीब किसानों का भी कुछ भला हो जाएगा। उन्होंने कहा कि अब पंजाब में अपनी राजनीतिक जमीन सिसकते हुए देखकर अकाली दल और कांग्रेस दोनों ही अपनी सत्ता बचाने के लिए भिन्न भिन्न प्रकार के ड्रामे और किसानों को लुभाने वाली बातें कर रहे हैं।

मीडिया के माध्यम से सभी राजनीतिक दलों के सांसदों से अपील करते हुए भगवंत मान ने कहा कि मैं आग्रह करता हूं कि अपने राजनीतिक दलों की नहीं, बल्कि अपने जमीर की बात सुनकर वोट डालना। क्योंकि प्रत्येक सांसद के साथ 9 विधायक होते हैं और यह सभी विधायक गांव से चुनकर आते हैं। यदि सभी सांसद अपने जमीर की आवाज सुनते हुए ईमानदारी के साथ राज्यसभा में अध्यादेश के खिलाफ वोट करें, तो यह किसान विरोधी अध्यादेश रोका जा सकता है। उन्होंने मीडिया के माध्यम से केंद्र सरकार से भी मांग की कि इस अध्यादेश के खिलाफ पूरे देश के किसान सड़कों पर उतरे हुए हैं, यह अध्यादेश किसानों के खिलाफ है, सरकार इस काले कानून को, किसान विरोधी कानून को वापस ले। अंत में भगवंत मान ने कहा कि इस बिल के खिलाफ हम हर लड़ाई लड़ेंगे, यदि कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी तो वह भी लड़ेंगे।

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