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आचार्य प.गिरधारी लाल जी के सानिध्य में व्यापक स्तर पर यमुना खादर में वृक्षारोपण किया गया।

*आचार्य जी ने बताया की वृक्षारोपण से पितरों को मिलता है अक्षय पुण्य* आज श्रावण मास में एकादशी के पुण्य दिन सभी भक्तों ने मिलकर अपने पितरों पूर्वजो को वृक्षारोपण करके श्रधांजलि अर्पित की। इस अवसर पर बहुत बड़े स्तर पर पर्यावरणीय संदेश देने के लिए श्री शिव मंदिर जगजीत नगर से जनजागृति यात्रा भी निकाली गई। वृक्षारोपण के इस महोत्सव में श्री शिव मंदिर जगजीत नगर के सभी सदस्य, स्वच्छ यमुना अभियान की पूरी टीम व सर्व ब्राह्मण महासभा व पुजारी संघ ,लीड दिल्ली से श्री अजय जैन जी व सभी भक्तों ने मिलकर अपने पूर्वजों की स्म्रति में वृक्षारोपण किया। कई तीर्थों पर पीपल और वट वृक्ष के नीचे धार्मिक कार्य संपन्न कराए जाते हैं, पर प्राय: लोगों का ध्यान इस ओर नहीं जाता कि इस अवधि में वृक्षारोपण करना दूसरे रीति रिवाजों से ज्यादा फलदायी है। वृक्षारोपण के ऐसे महत्व का एक उल्लेख पद्य पुराण में मिलता है। पद्म पुराण में भीष्म ने पुलस्त्य ऋषि से वृक्ष लगाने की विधि जानने की इच्छा प्रकट की थी। पुलस्त्य ऋषि ने बताया कि उत्तरायण आने पर किसी शुभ दिन पौधारोपण करना चाहिए।इसी तरह तीर्थों में,उद्यानों में जाकर वृक्ष लगाने वालों को पिंडदान का फल प्राप्त होता है। पुलस्त्य ऋषि कहते हैं कि सुनो, जो जलाशय के तट पर चारों ओर पवित्र वृक्षों को लगाता है, वह मनुष्य अनंत फल का भागी होता है। जलाशय के समीप पीपल का वृक्ष लगाकर मनुष्य जो फल प्राप्त करता है, वह सैकड़ों यज्ञों से भी नहीं मिल सकता। प्रत्येक पर्व के दिन उस वृक्ष के पत्ते जब जल में गिरते हैं, तो इससे पितरों को अक्षय पुण्य प्राप्त होता है। इसी तरह उस वृक्ष पर रहने वाले पक्षी अपनी इच्छानुसार जो फल खाते हैं, उनका फल ब्राह्माणों को भोजन कराने के समान होता है। हमारे धर्मशास्त्रों में पेड़ लगाने के कार्य को बड़े पुण्य का कार्य माना गया है। भविष्य पुराण में लिखा है कि जो व्यक्ति छायादार पेड़, फूल और फल देने वाले वृक्षों को रोपता है या मार्ग में तथा देवालयों में वृक्ष लगाता है, वह अपने पितरों को बड़े-बडे़ पापों से तारता है और स्वयं इहलोक में कीर्ति तथा शुभ फल प्राप्त करता है। इस पुराण में यह भी बताया गया है कि जिनके पुत्र नहीं हैं, उनके लिए वृक्ष ही पुत्र हैं। वृक्षारोपण करने वाले व्यक्ति के लौकिक-पारलौकिक कर्म वृक्ष ही करते रहते हैं और उसे स्वर्ग प्रदान करते हैं। एक स्थान पर लिखा है कि यदि कोई अश्वत्थ (पीपल) वृक्ष लगाता है तो वही उसके लिए एक लाख पुत्रों से भी बढ़कर है। पीपल वृक्ष की महिमा को विज्ञान भी स्वीकार करता है। पीपल ही एकमात्र ऐसा वृक्ष है, जिसमें किसी भी प्रकार के कीड़े नहीं लगते हैं। यह वृक्ष सबसे ज्यादा ऑक्सिजन छोड़ता है। भगवान बुद्ध को पीपल के नीचे तपस्या करने के बाद ज्ञान प्राप्त हुआ था। श्रीमद भगवत गीता के अध्याय 10, श्लोक 26 में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है- अश्वत्थ: सर्व वृक्षाणी, अर्थात वृक्षों में श्रेष्ठ पीपल है। आचार्य जी ने बताया कि हमारे द्वारा लगाए गए वृक्ष वर्षों तक भूखों को फल, पूजा के लिए फूल, ईंधन के लिए लकड़ी और गर्मी की भरी दोपहरी में पथिकों को शीतल छाया देते रहेंगे।’ यही सबसे बड़ा पुण्य है। आज के इस भव्य वृक्षारोपण महोत्सव में सर्व ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री शुभेष शर्मन जी,स्वच्छ यमुना अभियान से अनिल कुशवाहा जी,गनेन्द्र माथुर जी ,कैलाश राघव जी,नरेंद्र शर्मा जी व पूरी टीम,पुजारी संघ से आचार्य ललित शर्मा जी,प. सर्वेश दुबे जी , श्री शिव मन्दिर जगजीत नगर से सुनील शर्मा जी जय भगवान सैनी जी,अनिल शर्मा जी कृष्ण कुमार दीनू, मालती गरिमा शर्मा ,अमित राहुल गुप्ता, संजय दाधीच, सुकुमार देव, व समस्त महिला मण्डल व सभी भक्त गण और हमारे पर्यावरण प्रेमी विकास शर्मा जी,डॉ राघव जी,सुनीता राघव जी,कविता शर्मा जी,जसवंत सिंह रावत जी,कृष्णा दासी मधु जी व उनकी पूरी टीम व सभी पर्यावरण प्रेमियों ने व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण किया।

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